एकूण लेखनाचे संगणकीकरण दि. २७-०३-०३ या जागतिक रंगभूमी दिनी पूर्ण. हे संगणकीकरण वेळोवेळी अद्ययावत केले जाते.
सदर एकूण कामासाठी विशेष आभार :-
| अ.नं. | नाटक / दीर्घांक | दिग्दर्शक | दिनांक |
| १. | राज्य (संगणकावर घेतलेले नाही.) | अरुण पाटील | १४-११-७७ |
| २. | एक गगनभेदी किंचाळी | प्रसन्न जी.कुलकर्णी | १९-११-७८ |
| ३. | नातं | प्रकाश बुध्दिसागर | २१-०२-७९ |
| ४. | दिनकर पुरोहितचा खून | प्रकाश बुध्दिसागर | ०६-११-७९ |
| ५. | पोत्यातून गोत्यात (फक्त ‘ दिनकर पुरोहितचा खून ‘ या नावाने संगणकावर आहे.) | काश बुध्दिसागर | २४-०५-८१ |
| ६. | डाव्या डोळयाखाली काळा तीळ (फक्त ‘ धागेदोरे ‘ या नावाने पुनर्लिखित संहिता संगणकावर आहे.) | प्रसन्न जी.कुलकर्णी | १८-०७-८२ |
| ७. | नाणेफेक | पं.सत्यदेव दुबे | १६-१०-९४ |
| ८. | धागेदोरे | विद्यासागर अध्यापक | २१-०२-९७ |
| ९. | समतोल | रवींद्र लाखे | ३०-११-९८ |
| १०. | ढोलताशे | विजय केंकरे | १०-०९-९९ |
| ११. | बुध्दिबळ आणि झब्बू | गिरीश पतके | ०६-११-०० |
| १२. | तुमचं आमचं सेम असतं | गिरीश पतके | ०९-०६-०२ |
| १३. | जणू काही वास्तव | गिरीश पतके | २५-०९-०३ |
| १४. | सामसूम | राजू बावडेकर | ०५-१२-०४ |
| १५. | सध्यातरी शेवट गोड | समॄध्दी पानसे | ०८-१२-०४ |
| १६. | गोळ्या काढलेलं पिस्तूल | सुनील चौधरी | १२-११-१४ |
| १७. | इराक़ | चेतन दातार | २०-०२-०५ |
| १८. | डावेदार | गिरीश पतके | २७-०२-०५ |
| १९. | निर्मिती | सतीश ढेंबे | ०१-०८-०६ |
| २०. | प्रेमच म्हणू याला हवं तर... | रवींद्र लाखे | २७-०९-०८ |
| २१. | ए, आपण चहा घ्यायचा ? (व्यावसायिकच्या दॄष्टीने काही बदल केलेले ‘ समतोल ‘.) | अभिजित झुंजारराव | १९-११-१२ |
| २२. | घोकंपट्टी | -- | -- |
| २३. | वस्तू | रवींद्र लाखे | ०९-११-१० |
| २४. | ट्रायल | -- | -- |
| २५. | झालं गेलं विसरून जाऊ ( व्यावसायिकच्या दॄष्टीने काही बदल केलेले ‘ डावेदार ‘ ) | गिरीश पतके | ०१-०८-०९ |
| २६. | ढोलताशे ( भद्रकालीतर्फे व्यावसायिक ) | विजय केंकरे | २४-०१-१६ |
| २७. | मन ( ‘ मनाचे शोक ‘ या नावाने ) | रवींद्र लाखे | ०८-०२-१७ |
| २८. | इराक ( सुधारित ) | -- | -- |
| २९. | ढोलताशे ( कानडी ) | मोहित टाकळकर | ३१-१०-१६ |
| ३०. | प्रेमच ….. हिंदीत ‘ रिनोव्हेशन ‘ | गगन देव रियार आणि महेश केसकर | ०७-११-१६ |
| ३१. | दुरुस्त्या आणि देखभाल ( अभिवाचन ) | ललित प्रभाकर | १८-०२-१७ |
| ३२ . | ट्रायल | सुविद्य कुलकर्णी | २०-१२-२३ |
| ३३ . | मन | आभिजित झुंजारराव | १६-०६-२४ |
यांशिवाय काही कलाकृती, विनायक पडवळ, विनय आपटे, योगेश सोमण, ज्योत्स्ना डोंगरे, संजय पाटील, अनिल खोपकर, अनिरुध्द खुटवड, कुमार बडगुजर, सुनील मोझर, धनंजय गोळे, दिलीप वेंगुर्लेकर, भालचंद्र पानसे यांनीही दिग्दर्शित केल्या.
रंगायन, आविष्कार, मिती चार, वलय, महाराष्ट्रीय कलोपासक, पी.डी.ए., प्रत्यय, ट्रु फ्रेंडस थिएटर युनिट, स्नेह, इप्टा, अवकाश कलामंच, ऍक्टिव्ह थिएटर्स, भद्रकाली, प्ले ऑन, रंगशंकरा, इत्यादी नाट्यसंस्था तसेच बँका, कारखाने, सरकारी ऑफिसेस, शिक्षणसंस्था आदींनी नाट्यकृती सादर केल्या.
| अ.नं. | दिनांक | ||
| १. | अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. | २६-०२-०० | Modern Marathi Drama. |
| २. | मराठी विभाग, शिवाजी विद्यापीठ, कोल्हापूर. | २१-०२-०२ | मराठी रंगभूमी : सद्यस्थिती आणि आव्हाने. |
| ३. | अण्णासाहेब मगर महाविद्यालय, हडपसर, पुणे. | २०-१२-०३ | मराठी नाटकांचा आस्वाद व परीक्षण. |
| ४. | नौरोसजी वाडिया कॉलेज, पुणे. | २८-०२-०४ | Creativity and drama-followed by workshop on drama. |
| ५. | मराठी विभाग, शिवाजी विद्यापीठ, कोल्हापूर. | १५-०३-०५ | नाटकाचा आशय आणि हेतू. |
| ६. | वसंत व्याख्यानमाला, पुणे. | ०४-०५-०५ | मराठी नाटक : रंजन आणि विचार. |
| ७. | मराठी विभाग, मुबई विद्यापीठ. | ०७-०३-०७ | ‘ढोलताशे‘ या नाटकावर चर्चा. |
| ८. | ‘आविष्कार‘, मुंबई | ११-०२-०८ | भवताल आणि कला. |
| ९. | नाट्यशास्त्र विभाग, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाडा विद्यापीठ, औरंगाबाद. | १०-०९-०८ | नाट्यवाचन व चर्चा आणि नंतर नाट्यलेखन कार्यशाळा. |
| १०. | प्रा. एम. पी. पाटील, कॄतज्ञता सोहळा, केळकर-वझे महाविद्यालय, मुलुंड, मुंबई -- ४०००८१. | २६-०४-०९ | वर्तमान मराठी रंगभूमी (अध्यक्ष व अध्यक्षीय समारोप.) |
| ११. | टिळक महाराष्ट्र विद्यापीठ, पुणे. | ०२-०४-१० | नाटक आणि नैतिकता. |
| १२. | सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ, पुणे. | १९-०३-१६ | नाट्यलेखन – मनोगत. |
| १३. | अभिरुची, कोल्हापूर | १०-०३-१७ | आजचे नाटक. |
| १४. | थर्ड बेल एंटरटेन्मेंट, पुणे. ( कलातीर्थ शब्दगौरव पुरस्कार ) | २८-०५-१७ | मराठी चित्रपट. |
| १५. | सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ, पुणे. | १५-०२-१९ | मराठी नाटकांमधील मिथकसॄष्टी.( अध्यक्ष ) |
| १६. | बाबा वर्दम थिएटर्स, कुडाळ यांचा आरती प्रभू पुरस्कार | ०४-०२-२४ | आरती प्रभूंचे लेखन |
| १७. | पुरुषोत्तम करंडक, पुणे अंतिम फेरी | २८-०९-२४ | अध्यक्षीय भाषण |
| १८. | इतर अनेक नाट्यविषयक चर्चा, कार्यशाळा, उपक्रम, कार्यक्रम यांत वेळोवेळी सहभाग. |
| अ.नं. | दिनांक | ||
| १. | द्रुकश्राव्य | ०३-०६-१९ | प्रख्यात नाटककार अभिराम भडकमकर यांनी घेतलेली मुलाखत. |
| २. | श्राव्य | ०४-०२ २४ | आरती प्रभू यांचे लेखन |
| ३. | द्रुकश्राव्य | ३१-०८-२५ | डॉ. गिरीश रांगणेकरांनी घेतलेली मुलाखत |
एकूण लेखनाचे संगणकीकरण दि. २७-०३-०३ या जागतिक रंगभूमी दिनी पूर्ण.
यातील सर्व लेखनाचे सर्व हक्क लेखकाचे स्वाधीन. कोणत्याही उपयोगासाठी लेखी पूर्व-अनुमती घेणे आवश्यक आहे.